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Cooking Oil New Price: GST हटते ही सस्ता हुआ सरसों और रिफाइंड तेल, देखें आपके शहर में नए रेट!

Cooking Oil New Price: देशभर के लोगों के लिए नई साल से पहले ही एक बड़ी खुशखबरी आई है। सरकार ने अब आम जनता के रसोई खर्च को कम करने के लिए खाने के तेलों से जीएसटी (GST) हटा दिया है। यह फैसला 2025 में लागू हो गया है और इसका सीधा असर अब बाजार में दिखने लगा है। सरसों, रिफाइंड, सोया और सूरजमुखी तेल की कीमतों में 10 से 17 रुपये तक की गिरावट आई है, जिससे आम परिवारों को बड़ी राहत मिली है।

अब सस्ता मिलेगा हर घर का जरूरी तेल

सरकार के इस फैसले का मतलब सीधा है अब खाने के तेल पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। पहले सरसों, सोया और रिफाइंड तेल पर 5% तक जीएसटी वसूला जाता था। यानी हर लीटर तेल पर ग्राहक को कुछ रुपये ज्यादा देने पड़ते थे। लेकिन अब यह टैक्स हट जाने से हर परिवार को बचत का फायदा मिलने लगा है। दिल्ली, लखनऊ, पटना, जयपुर जैसे शहरों में सरसों तेल अब करीब ₹112 प्रति लीटर में मिल रहा है, जबकि पहले यह ₹125 तक जाता था। वहीं रिफाइंड तेल ₹135 से घटकर ₹118 पर पहुंच गया है। इसी तरह सोया और सूरजमुखी तेल में भी 12 से 13 रुपये की कमी आई है। यह बदलाव उन लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है जिनका बजट हर महीने खाने-पीने के सामान पर भारी पड़ जाता था।

लोगों की जेब में आई राहत

खाने के तेल की कीमतें पिछले दो सालों से लगातार बढ़ रही थीं, जिससे आम परिवारों का मासिक खर्च काफी बढ़ गया था। सरकार के इस कदम से अब उन परिवारों को सीधी राहत मिली है। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां सरसों तेल का उपयोग सबसे ज्यादा होता है, लोग इस बदलाव से बेहद खुश हैं। कई छोटे दुकानदारों ने बताया कि जीएसटी हटने के बाद तेल की बिक्री में 20% तक का इजाफा हुआ है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से न केवल ग्राहकों को फायदा हुआ है, बल्कि कारोबारियों को भी नया उत्साह मिला है। बिक्री बढ़ने से बाजार में नई हलचल आई है और व्यापारिक माहौल बेहतर हुआ है।

कीमतों में गिरावट से बढ़ी खपत

फॉर्च्यून, धारा और पतंजलि जैसे बड़े ब्रांड्स ने भी तुरंत अपने दामों में कमी की है। इसका असर यह हुआ है कि लोग अब पहले से ज्यादा मात्रा में तेल खरीद रहे हैं। पहले जहां एक परिवार महीने में सीमित मात्रा में तेल खरीदता था, वहीं अब कीमतें कम होने के कारण लोग आसानी से अतिरिक्त स्टॉक रख पा रहे हैं। बाजार से जुड़ी रिपोर्ट्स बताती हैं कि तेल कंपनियों की थोक बिक्री में 15% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले महीनों में कीमतें और स्थिर रहेंगी, जिससे आम आदमी को लगातार फायदा मिलता रहेगा।

सरकार का कदम क्यों है खास

सरकार का कहना है कि यह फैसला सिर्फ कीमतें घटाने के लिए नहीं, बल्कि महंगाई को काबू में रखने के लिए भी उठाया गया है। बीते कुछ महीनों में खाद्य वस्तुओं के दाम तेजी से बढ़े थे। सरकार ने जब आंकड़ों का विश्लेषण किया तो पाया कि खाने के तेलों पर टैक्स हटाने से आम जनता को सीधी राहत मिलेगी और बाजार में खपत भी बढ़ेगी। यह कदम एक तरह से सामाजिक और आर्थिक दोनों स्तरों पर असर डाल रहा है। मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए यह राहत इस समय बहुत अहम है, क्योंकि उनकी आमदनी जितनी नहीं बढ़ी, खर्च उतना बढ़ता जा रहा था।

तेल बाजार में नई प्रतिस्पर्धा

जीएसटी हटने के बाद अब तेल कंपनियों के बीच कीमतों को लेकर नई प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। कंपनियां उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए अपने उत्पादों में सुधार और छूट ऑफर दे रही हैं। इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिल रहा है, क्योंकि उन्हें अब अच्छी क्वालिटी का तेल पहले से कम दाम में उपलब्ध हो रहा है।

लोगों के चेहरे पर लौटी मुस्कान

महंगाई से जूझ रहे लोगों के लिए यह फैसला किसी त्योहार के तोहफे से कम नहीं है। कई परिवारों ने बताया कि तेल के दाम घटने से महीने का राशन बजट अब थोड़ा संभल गया है। पहले जहां सरसों या रिफाइंड खरीदना बोझ जैसा लगता था, अब लोग बिना झिझक खरीद रहे हैं। सरकार का यह कदम दिखाता है कि आम आदमी के हित को ध्यान में रखकर नीतियां बनाई जा रही हैं। आने वाले समय में अगर यह टैक्स नीति स्थिर रहती है, तो रसोई से जुड़ी और भी चीजें सस्ती हो सकती हैं। कुल मिलाकर, 2025 में खाने के तेल पर से जीएसटी हटना एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ है जिसने बाजार को नई ऊर्जा दी है और हर घर के बजट में सुकून की सांस भर दी है।

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