8th Pay Commission: केंद्र सरकार के नए वेतन आयोग की चर्चा इन दिनों हर रिटायर्ड कर्मचारी के मन में है। खास तौर पर उन पेंशनर्स के लिए यह बड़ी उम्मीद का समय है जिनकी नज़र “फिटमेंट फैक्टर” पर टिकी हुई है। सरकार ने 8वें वेतन आयोग की तैयारियां शुरू कर दी हैं और इसके लिए टर्म्स ऑफ रेफरेंस भी मंजूर हो चुका है। आयोग को 18 महीनों में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है, और अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा तो साल 2026 की शुरुआत से नई पेंशन दरें लागू हो सकती हैं।
फिटमेंट फैक्टर से तय होगा पेंशन में इजाफा
हर वेतन आयोग में कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन की वृद्धि “फिटमेंट फैक्टर” के आधार पर तय होती है। यही वह फार्मूला है जो यह बताता है कि मौजूदा पेंशन में कितनी बढ़ोतरी की जाएगी। 7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 रखा गया था, यानी पेंशन 2.57 गुना बढ़ गई थी। अब अगर 8वें वेतन आयोग में सरकार इसे 3.0 या 3.68 तक बढ़ाने का फैसला करती है, तो पेंशनर्स की आमदनी लगभग दोगुनी हो सकती है।
25 हजार की जगह मिल सकते हैं 50 हजार रुपए
अगर किसी पेंशनर की मौजूदा बेसिक पेंशन 25,000 रुपये है और नया फिटमेंट फैक्टर 2.0 लागू किया जाता है, तो उसकी पेंशन 50,000 रुपये हो जाएगी। वहीं अगर यह फैक्टर 3.0 तय हुआ, तो पेंशन 75,000 रुपये तक जा सकती है, और 3.68 होने पर लगभग 92,000 रुपये तक पहुंच सकती है। यानी फिटमेंट फैक्टर जितना बढ़ेगा, उतना ही ज्यादा फायदा पेंशनर्स को मिलेगा।
क्या-क्या बदलाव देखने को मिल सकते हैं
8वें वेतन आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस में पेंशनर्स के हित में कई अहम सुझावों को शामिल किया गया है। इनमें रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ाना, 15 साल में मिलने वाली कम्यूटेड पेंशन की अवधि घटाकर 12 साल करना और मेडिकल सुविधाओं को और व्यापक बनाना शामिल है। सरकार चाहती है कि पेंशन सिस्टम और पारदर्शी और आधुनिक हो, ताकि किसी भी रिटायर्ड कर्मचारी को आर्थिक असुरक्षा महसूस न हो।
महंगाई राहत पर भी पड़ेगा असर
पेंशन के साथ मिलने वाली महंगाई राहत (DA/DR) सीधे बेसिक पेंशन पर निर्भर करती है। जब बेसिक पेंशन बढ़ेगी, तो उसी अनुपात में महंगाई राहत भी बढ़ जाएगी। उदाहरण के तौर पर अगर किसी की पेंशन 20,000 रुपये थी और DR 20 प्रतिशत के हिसाब से 4,000 रुपये मिलते थे, तो नई पेंशन 30,000 होने पर वही राहत 6,000 रुपये हो जाएगी। इसका मतलब है कि हर तिमाही बढ़ने वाला DA अब पहले से ज्यादा असर दिखाएगा।
टैक्स और मेडिकल बेनिफिट्स में भी हो सकता है सुधार
सरकार टैक्स राहत और मेडिकल खर्च के दायरे को भी बढ़ाने की दिशा में सोच रही है। कर्मचारी संगठन चाहते हैं कि CGHS यानी सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम में अधिक अस्पताल जोड़े जाएं और मासिक मेडिकल सहायता ₹3,000 से बढ़ाकर ₹20,000 की जाए। टैक्स के मामले में भी फैमिली पेंशन पर मिलने वाली छूट सीमा को और बढ़ाने की मांग की जा रही है ताकि बुजुर्गों पर टैक्स का बोझ कम हो सके।
8वें वेतन आयोग से कितनी उम्मीदें
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार इस बार फिटमेंट फैक्टर को कम से कम 3.0 तक बढ़ा सकती है, जिससे पेंशन लगभग डेढ़ से दो गुना तक बढ़ जाएगी। केंद्र सरकार के 70 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और 50 लाख से अधिक पेंशनर्स के लिए यह बदलाव किसी बड़े त्योहारी बोनस से कम नहीं होगा। सरकार का मकसद है कि बढ़ती महंगाई के बीच बुजुर्गों और रिटायर्ड कर्मचारियों को आर्थिक स्थिरता मिले। अगर यह रिपोर्ट तय समय पर आई और लागू हुई तो लाखों परिवारों की मासिक आमदनी में सीधा सुधार होगा। 8वां वेतन आयोग सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि उन लोगों की उम्मीद है जिन्होंने अपनी पूरी उम्र देश की सेवा में गुजारी है। अब देखना यह होगा कि सरकार इन उम्मीदों को कितना पूरा करती है।